नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर, जो अपनी भीषण गर्मी के लिए जाना जाता है, वहां केसर जैसी ठंडी जलवायु में उगाई जाने वाली फसल को विकसित करना लगभग असंभव माना जाता था। लेकिन अक्षय होले और दिव्या लोहकरे होले ने इस धारणा को बदल दिया। इस कपल ने एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करके बिना मिट्टी और पानी के 400 वर्ग फुट के छोटे से कमरे में केसर उगाना शुरू किया। आज वे सालाना 50 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं और इसे एक सफल बिजनेस मॉडल में बदल चुके हैं।
अक्षय, जो बीबीए ग्रेजुएट हैं, और दिव्या, जो एक बैंकर रही हैं, ने 2020 में केसर की खेती करने का फैसला किया। इसकी वजह यह थी कि यह दुनिया का सबसे महंगा मसाला है और भारत में इसकी मांग तो है, लेकिन उत्पादन बहुत कम होता है। खेती की बारीकियां समझने के लिए उन्होंने कश्मीर में समय बिताया और अनुभवी उत्पादकों से सीखा। शुरुआती दौर में उन्होंने सिर्फ 1 किलो बीज से शुरुआत की, लेकिन धीरे-धीरे अपने प्रोजेक्ट का विस्तार किया।
पहले चक्र में उत्पादन बेहद कम था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने 350 किलो बीज में निवेश किया, जिससे अगली फसल में 1,600 ग्राम केसर का उत्पादन हुआ। उनकी सफलता के बाद, उन्होंने हिंगना में 400 वर्ग फुट की सुविधा के साथ-साथ 480 वर्ग मीटर की एक और यूनिट स्थापित की। अब उनका वार्षिक उत्पादन 45 किलो तक पहुंच गया है, जिसमें उनके साथ जुड़े अन्य किसान भी योगदान दे रहे हैं।
सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि अक्षय और दिव्या इस तकनीक को दूसरों तक भी पहुंचा रहे हैं। अब तक वे 150 लोगों को प्रशिक्षित कर चुके हैं, जिनमें से 29 ने अपनी केसर यूनिट स्थापित कर ली हैं। वे प्रशिक्षण के लिए 15,000 रुपये शुल्क लेते हैं और नए किसानों की मदद भी करते हैं। इसके अलावा, वे इन किसानों से केसर खरीदकर उसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग करते हैं, जिससे सभी को फायदा होता है।
इस अनोखे बिजनेस मॉडल ने अब तक 1.3 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न किया है, जिसमें से अधिकतर मुनाफा पिछले दो वर्षों में आया है। उनका केसर कश्मीर के केसर संस्थान द्वारा प्रमाणित है और 630 रुपये प्रति ग्राम की दर से बिकता है। अक्षय का कहना है, "हमने परंपरागत खेती में तकनीक का सही उपयोग किया है। बिना मिट्टी और पानी के, सिर्फ हवा और धुंध के सहारे केसर उगाकर हमने अपनी जिंदगी बदल दी।"